Shayari_Ka_Samunder

SANTOSH KULKARNI
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तजुर्बा भी था , हुनर भी था 
जाने क्यों वो लोगो से छुपाने लगा 
चंद पैसे की कमी के कारण 
जाने क्यों वो गरीब कहलाने लगा

काश लिख सकता वो यादें तेरी
जो ख्वाब थे पुराने
फिर सोचता हु की कही
वो अरमान न जाग उठे 

✍✍✍

अगर जाना ही था किसी रोज़ छोड़कर मुझे,
तो दिल को मेरे तड़पाने तुम आती क्यूं हो ?

अगर नहीं आता तुम्हे किए वादे निभाना,
तो पहले झूठी कसमें तुम खाती क्यूं हो ?

अगर काटने ही थे मेरी ख्वाहिशों के पर तुम्हें,
तो पहले सपनों का आसमां दिखाती क्यूं हो ?

महफिले मेरी, मयखानों में बदल जाएंगी,
तो आशिक़ से साकी तुम मुझे बनाती क्यूं हो ?

मेरे बारे में सब कुछ जानते हुए भी तुम,
मेरे दिल की चौखट पर आकर जाती क्यूं हो ?

शायरों की महफ़िलों में 
हम कुछ इसलिए भी जाते हैं

हम से बिछड़कर शायद वो भी 
शायराना हो गये हों......

✍✍✍

खुला मत छोड़ो ज़िन्दगी की किताब को..!
बिगाड़ देंगे ज़माने वाले...
जमे-जमाए हिसाब को..!!

अजीब रात थी कल तुम भी आ के लौट गए

जब आ गए थे तो पल भर ठहर गए होते

यह हकीकत है तेरी जिंदगी में मेरे जैसे 
100 आएंगे 100 जाएंगे


लेकिन मेरे जैसा तेरे लिए 
तेरे पापा भी नहीं ढूंढ पाएंगे

✍✍✍

बिखेरो मुझे
मैं रेत हो जाऊँगा
बनाओ मुझे
घर हो जाऊँगा 
ज़रा साँस लो
हवा बन के आऊँगा 
जो भीगेंगी आँखें
तो बारिश हो जाऊँगा 
लबों पे तबस्सुम की
शरारत हो जाऊँगा 
मुसाफ़िर हूँ मैं, कहोगे 
तो रास्ता हो जाऊँगा 
अधूरा है सब कुछ
पूरे की चाह क्या
अधूरा अपना लो
मैं पूरा हो जाऊँगा 
समझते तो सब हो
अक़्ल ही बड़ी है
समझना जो चाहो
समझ नहीं आऊँगा 
नहीं हूँ कहीं भी
ग़र तेरा दिल है ख़ाली 
भरो अपने दिल को
मोहब्बत हो जाऊँगा 
मुझको है पाना तो
खो कर के देखो
मुझे खो दिया तो
मैं, तुम हो जाऊँगा 
तुम्हीं से उठा था
तुम्हीं में समाया
मैं तेरा ही बशर हूँ 
मैं हर शय हो जाऊँगा।

बहुत रोयेगी जिस दिन मैं तुझे याद आऊंगा


बोलेगी एक पागल था 

जो सिर्फ मेरे लिए पागल था ! ☺️

✍✍✍

आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम ...

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है
बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,
इस मिट्टी से ...

ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे
ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्‍मिनियाँ अंगारों पे
बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की
इस मिट्टी से ...

देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था
हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था
यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिट्टी से ...

जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ
मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मिट्टी से ...

ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से ...

आँखो  की  बारिश  यू  भिगो  देती  है  जैसे 

सालो से हमने कभी बारिश ही ना देखी हो,

✍✍✍

निकाल तो देता इस दिल से तुम्हें 

एक पल में मगर... 
.
.
सरकार ने ये कह दिया कि 

“जो जहाँ है वो वहीं पर रहे”... 

✍✍✍

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक 
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
 
✍✍✍

पूरी दुनिया जीत सकते है 

संस्कार से… और.... 

जीता हुआ भी हार जाते है, 

अहंकार से…!!

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सुन्दरता की कमी को 
अच्छा स्वभाव पूरा कर सकता है 
लेकिन स्वभाव की कमी को 
सुंदरता से पूरा नहीं किया जा सकता.!! 

✍✍✍

तलब की राह में पाने से पहले खोना पडता है
बडे सौदे नजर में हों तो छोटा होना पडता है

मोहब्बत जिन्दगी के फैसलों से लड़ नही सकती
किसी को खोना पडता है किसी का होना पडता है।

✍✍✍

इश्क़ की ख़ातिर, लड़कियां क्या क्या हो गई

कोई लैला,कोई पागल,तो कोई दीवानी हो गई


इश्क़ में पढ़कर,ये लड़के भी किस हाल में आ गए

कुछ बने मजनूं,कुछ बने रांझा, तो कुछ पगला गए

✍✍✍

क्या
मालूम है तुम्हें
हवा कहाँ रहती है ?
शायद हर जगह

लेकिन दिखती नहीं
बस दस्तक देती है दरवाज़े पर
कभी हौले से
और कभी आँधी बनकर

दिखती नहीं
बस उसका अहसास होता है
जैसे अभी छूकर निकल गई हौले से
ख़ुशबूदार झोंके की तरह
या पेड़ की पत्तियों को सरसराकर
कोई इशारा दे गई जैसे

ठीक ऐसी ही हो तुम !
दिखती भी नहीं,
और पास से हटती भी नहीं ।

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मुझे नही मतलब 

कौन किसके साथ कैसा है...!!


जो मेरे साथ अच्छा है 

वो मेरे लिए अच्छा है...!!

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उधार मांगा है,

उनकी आँखों का काजल

अपनी शायरी के लिए,

शर्त उसने भी रख दी कि

शायरी उनकी आँखों पर ही हो।

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शीशा अौर रिश्ता दोनों ही 
बड़े नाज़ुक होते हैं 
दोनों में सिर्फ एक ही फर्क है
शीशा गलती से टूट जाता है 
अौर रिशता गलतफहमियों से....

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हर आदमी के होते है 10-20 चेहरे,


जिसे भी देखना बड़े गौर से देखना।

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वक़्त से पूछ कर कोई बताना ज़रा,

जख्म क्या वाकई भर जाते हैं…

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घेर लेने को जब भी बलाएँ आ गईं

ढाल बनकर माँ की दुआएँ आ गईं"

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छुप जाओ शर्म की चादर मे  
बाहार हैवानीयत की हद पार हो रही है ,
कही तुम्हे दाग ना लग जाए ,

✍✍✍

तेरी गली का सफर आज भी याद है मुझे,

मैं कोई वैज्ञानिक तो नहीं था,

पर खोज लाजवाब थी मेरी.....

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तुम्हे खोने से डरता हूँ..!

इसलिये तेरा होने से डरता हूँ...!

✍✍✍

जो देखता हूँ वही बोलने का आदी हूँ 

मैं अपने शहर का सब से बड़ा फ़सादी हूँ...

✍✍✍

समझाये उन्हें क्या,
 जो अपनी बातों से मुकर गए, 
वो करते रहे, गैरो की परवाह
जिनके अपने आशियाने उजड़ गए, 
कभी मिलोगे तुम, दिल से भी हमसे
या मुहोब्बत के ज़माने गुजर गए, 
कुछ तो खास है, तेरे मेरे दरमियां
यूँ तो बहुत मिले, कई बिछड़ गए
क्या बताये, क्या गुजरी हमपे साहिब
दिल मे रहने वाले, जब दिल से उतर गए,
ख्वाहिशें बहुत थी, तुझसे ऐ ज़िन्दगी,
जो समझें हम, तो मायने बदल गए!

✍✍✍

रूह का सूकून है इष्क !
शर्त है सही इंसान से हो !!

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